भारत में वाल्ट डिज्नी और रिलायंस इंडस्ट्रीज के मीडिया ऑपरेशन का विलय हो गया है। बयान के अनुसार, रिलायंस इस डील के तहत दोनों कंपनियों के विलय से बनी इकाई में 11,500 करोड़ रुपये निवेश करेगी। वॉल्ट डिज्नी कंपनी और रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बुधवार को भारत में अपने मीडिया परिचालन का विलय कर 70,000 करोड़ रुपये की एक बड़ी कंपनी बनाने की घोषणा की। डिज्नी और रिलायंस इस संबंध में एक बाध्यकारी समझौते पर हस्ताक्षर करेंगी। इस कंपनी में रिलायंस की 63.16 फीसदी हिस्सेदारी होगी। वहीं डिज्नी को 36.84 फीसदी हिस्सेदारी मिलेगी। दोनों कंपनियों के मीडिया ऑपरेशन से बने संयुक्त उद्यम की चेयरपर्सन नीता अंबानी होंगी। वहीं उदय शंकर इस नई कंपनी के उपाध्यक्ष होंगे।
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ऐतिहासिक समझौता
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने कहा, ‘यह एक ऐतिहासिक समझौता है जो भारतीय मनोरंजन उद्योग में एक नए युग की शुरुआत करता है। हमने डिज्नी को हमेशा वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ मीडिया समूह के रूप में सम्मान दिया है। इस रणनीतिक संयुक्त उद्यम की स्थापना से हम काफी उत्साहित हैं। यह हमें देश भर के दर्शकों के लिए कम कीमत पर अनोखी सामग्री प्रदान करने के लिए हमारे व्यापक संसाधनों, रचनात्मक कौशल और बाजार दृष्टिकोण को साथ लाने में मदद करेगा। हम रिलायंस समूह के प्रमुख भागीदार के रूप में डिज्नी का स्वागत करते हैं।’
वॉल्ट डिज्नी कंपनी के सीईओ बॉब इगर ने कहा, ‘भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला बाजार है। कंपनी के लिए दीर्घकालिक मूल्य सृजित करने के लिहाज से इस संयुक्त उद्यम द्वारा प्रदान की जाने वाली संभावनाओं के प्रति हम काफी उत्साहित हैं। रिलायंस को भारतीय बाजार और उपभोक्ताओं की गहरी समझ है। साथ मिलकर हम देश की अग्रणी मीडिया कंपनी बनाएंगे ताकि डिजिटल सेवाओं, मनोरंजन एवं खेल सामग्रियों के पोर्टफोलियो के साथ उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा दी जा सके।’
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सरकारी विज्ञापन
भारत में डिजिटल विज्ञापन पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है और वर्तमान में इसकी हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से अधिक है, जो टेलीविजन और प्रिंट मीडिया के संयुक्त विज्ञापन राजस्व से भी अधिक है। हालांकि, इस बीच सरकार का विज्ञापन खर्च पैटर्न अलग रहा है।
सूचना-प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू ने बुधवार को मुंबई में भारत डिजिटल शिखर सम्मेलन के मौके पर वेबसाइट 'एक्सचेंज4मीडिया' को बताया कि सरकार का डिजिटल खर्च लगभग 10 प्रतिशत है और इसका बड़ा हिस्सा पारंपरिक मीडिया (traditional media) को जाता है।
उन्होंने कहा, "हमारे विज्ञापन बजट का 60 फीसदी हिस्सा टेलीविजन मीडिया को मिलता है, इसके बाद प्रिंट मीडिया और फिर आउटडोर को जाता है।"
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रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स में भर्ती के नाम पर सोशल मीडिया में फर्जी विज्ञापन। बेरोज़गारों को ठगने की जुगत।
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