Thursday, February 29, 2024

वाल्ट डिज्नी और रिलायंस मीडिया का विलय होगा

वॉल्ट डिज्नी कंपनी और रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बुधवार को भारत में अपने मीडिया परिचालन का विलय कर 70,000 करोड़ रुपये की एक बड़ी कंपनी बनाने की घोषणा की। डिज्नी और रिलायंस इस संबंध में एक बाध्यकारी समझौते पर हस्ताक्षर करेंगी।

भारत में वाल्ट डिज्नी और रिलायंस इंडस्ट्रीज के मीडिया ऑपरेशन का विलय हो गया है। बयान के अनुसार, रिलायंस इस डील के तहत दोनों कंपनियों के विलय से बनी इकाई में 11,500 करोड़ रुपये निवेश करेगी। वॉल्ट डिज्नी कंपनी और रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बुधवार को भारत में अपने मीडिया परिचालन का विलय कर 70,000 करोड़ रुपये की एक बड़ी कंपनी बनाने की घोषणा की। डिज्नी और रिलायंस इस संबंध में एक बाध्यकारी समझौते पर हस्ताक्षर करेंगी। इस कंपनी में रिलायंस की 63.16 फीसदी हिस्सेदारी होगी। वहीं डिज्नी को 36.84 फीसदी हिस्सेदारी मिलेगी। दोनों कंपनियों के मीडिया ऑपरेशन से बने संयुक्त उद्यम की चेयरपर्सन नीता अंबानी होंगी। वहीं उदय शंकर इस नई कंपनी के उपाध्यक्ष होंगे।  

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ऐतिहासिक समझौता

रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने कहा, ‘यह एक ऐतिहासिक समझौता है जो भारतीय मनोरंजन उद्योग में एक नए युग की शुरुआत करता है। हमने डिज्नी को हमेशा वै​​श्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ मीडिया समूह के रूप में सम्मान दिया है। इस रणनीतिक संयुक्त उद्यम की स्थापना से हम काफी उत्साहित हैं। यह हमें देश भर के दर्शकों के लिए कम कीमत पर अनोखी सामग्री प्रदान करने के लिए हमारे व्यापक संसाधनों, रचनात्मक कौशल और बाजार दृ​ष्टिकोण को साथ लाने में मदद करेगा। हम रिलायंस समूह के प्रमुख भागीदार के रूप में डिज्नी का स्वागत करते हैं।’

वॉल्ट डिज्नी कंपनी के सीईओ बॉब इगर ने कहा, ‘भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला बाजार है। कंपनी के लिए दीर्घकालिक मूल्य सृजित करने के लिहाज से इस संयुक्त उद्यम द्वारा प्रदान की जाने वाली संभावनाओं के प्रति हम काफी उत्साहित हैं। रिलायंस को भारतीय बाजार और उपभोक्ताओं की गहरी समझ है। साथ मिलकर हम देश की अग्रणी मीडिया कंपनी बनाएंगे ताकि डिजिटल सेवाओं, मनोरंजन एवं खेल सामग्रियों के पोर्टफोलियो के साथ उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा दी जा सके।’

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सरकारी विज्ञापन

भारत में डिजिटल विज्ञापन पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है और वर्तमान में इसकी हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से अधिक है, जो टेलीविजन और प्रिंट मीडिया के संयुक्त विज्ञापन राजस्व से भी अधिक है। हालांकि, इस बीच सरकार का विज्ञापन खर्च पैटर्न अलग रहा है।

सूचना-प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू ने बुधवार को मुंबई में भारत डिजिटल शिखर सम्मेलन के मौके पर वेबसाइट 'एक्सचेंज4मीडिया' को बताया कि सरकार का डिजिटल खर्च लगभग 10 प्रतिशत है और इसका बड़ा हिस्सा पारंपरिक मीडिया (traditional media) को जाता है। 

उन्होंने कहा, "हमारे विज्ञापन बजट का 60 फीसदी हिस्सा टेलीविजन मीडिया को मिलता है, इसके बाद प्रिंट मीडिया और फिर आउटडोर को जाता है।"

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रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स में भर्ती के नाम पर सोशल मीडिया में फर्जी विज्ञापन। बेरोज़गारों को ठगने की जुगत।

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Wednesday, July 12, 2023

मालिनी पार्थसारथी ने की ‘द हिंदू’ की संपादकीय नीति की आलोचना


द हिंदू की पूर्व संपादक मालिनी पार्थसारथी ने गत 4 जुलाई के एक ट्वीट के मार्फत अखबार पर पक्षपात का आरोप लगाया और प्रेस की जिम्मेदारी और जवाबदेही की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने महाराष्ट्र में राकांपा में हुई बगावत की कवरेज और उस विषय पर लिखे गए संपादकीय की शब्दावली को चिह्नित करते हुए लिखा है:

For those wondering what I meant when I said that the space for my campaign to restore the great legacy of impartial journalism without prejudice @the_hindu was shrinking, here are examples of the biased writing I sought to resist being planted in our columns.

The headline on Page 1 today, saying “NCP lurches” is not bias-free, it gives away the plot right at the start!

Today’s editorial speaks contemptuously of the breakaway group of NCP legislators, calling their act “a smoke and mirrors game”. The last line, the punchline talks of the BJP’s “playbook”. Are there no playbooks for other political parties?

While it’s nobody’s case that one should bat for either side of this game, to be so blatantly prejudiced is against our tradition of neutral commentary.

I am deeply anguished by the departure from our newspaper’s tradition of dignified analysis and sober introspection.

I share this with our well-wishers here on this platform as I know many wishes @the_hindu well and want to see its neutral and balanced presentation of content restored.

What Indian journalism needs urgently is a commitment to producing narratives that are honest, bias-free and open ended in forming conclusions. The reader deserves the best!

 

इसके पहले की कुछ खबरें

Editorial views shrinking’: Malini Parthasarathy resigns as The Hindu chairperson

05 Jun, 2023  

Journalist Malini Parthasarathy has quit as the chairperson of The Hindu Group Publishing, she said in a tweet on Monday, stating that the “space and scope” in the publication for her “editorial views was shrinking”.

Hinting at possible differences with the Board, she said her efforts at the organisation was to free “our narrative” from “entrenched ideological bias”, and the scope for her efforts “has narrowed”.

Friday, July 3, 2020

संजीव गोयनका निकालेंगे फॉरच्यून


ऐसे समय में जब मडिया कारोबार का खराब समय चल रहा है, आरपी गोयनका समूह से अलग हुए आरपी-संजीव गोयनका समूह ने इस क्षेत्र में कदम बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की है और कहा है कि हम भारत में फॉरच्यून पत्रिका का प्रकाशन करेंगे. भारत में फॉरच्यून के प्रकाशन का लाइसेंस एबीपी ग्रुप के पास था, पर वह लाइसेंस अब खत्म हो चुका है. संजीव गोयनका ग्रुप का एकमात्र प्रकाशन अभी ओपन पत्रिका है. 7 जुलाई के बिजनेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित इंटरव्यू में इस ग्रुप के चेयरमान संजीव गोयनका ने भविष्य की अपनी योजनाओं का विवरण दिया है.



Thursday, July 2, 2020

मोदी के वीबो अकाउंट के खत्म होने की रोचक कहानी

PM मोदी का चीन को एक और जबरदस्त 'तमाचा ...

चीन में ट्विटर और फेसबुक वगैरह नहीं चलते हैं. वहाँ का वीबो प्लेटफॉर्म ट्विटर जैसा है. इस प्लेटफॉर्म पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हैंडल भी है. इसे अब खत्म कर दिया गया है. इसे खत्म करने के निहितार्थ अपनी जगह हैं, पर मुझे रोचक वह प्रक्रिया लगी, जो इस हैंडल से नाम वापसी में लगी. हिंदू में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार वीबो से हटने की प्रक्रिया बड़ी जटिल है. जब मोदी के हैंडल को खत्म करने की बात हुई, तो चीन ने दो दिन तक वह प्रक्रिया शुरू ही नहीं करने दी. वीबो पर नरेंद्र मोदी की 115 पोस्ट थीं. बाद में तय हुआ कि एक-एक करके पोस्ट हटाई जाएं. ऐसा करते हुए 113 पोस्ट तो डिलीट हो गईं, पर दो नहीं हुईं. वजह यह थी कि उनमें चीन के राष्ट्रपति की तस्वीर थी. वीबो में चीनी राष्ट्रपति वाली टिप्पणी को हटाना बेहद मुश्किल है. इस प्रकिया से जुड़े भारतीय अधिकारी ने हिंदू को बताया कि दो पोस्ट फिर भी हटाई नहीं जा सकीं।